भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सरहद के मरहम / अंजना टंडन

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:01, 19 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अंजना टंडन |अनुवादक= }} {{KKCatKavita}} <poem> कि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कितने उलझे है सभी
आपाधापी में,

जबकि
इस समय
लिखी जानी चाहिए थीं
दुनिया की
तरलतम प्रेम कविताएँ,

ख़तों के मजमून सी

जिन्हें
प्रेमिकाएँ भेज सकें
गीले बोसे में लपेट,

इस बुरे दौर में यकीनन
ये ही मरहम मानिंद हैं,

सरहद पर इन दिनों जख़्म बहुत है।