भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नन्‍हीं चिडिया / राबर्ट फ़्रोस्ट

Kavita Kosh से
Kumar mukul (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:25, 22 मई 2019 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने चाहा कि मेरे घर में पूरे दिन,
चहचहाने वाली चिडिया कहीं दूर उड जाए ;

जब मुझे लगा कि मैं उसे और नहीं सहन कर सकता
तो मैंने उसे भगाने को दरवाजे से तालियां बजायीं।

एक हद तक इसमें मेरी ही गलती है।
चिडिया को इसके लिए दोषी नहीं कहा जाना चाहिए था।

और वस्‍तुत: गडबडी इसमें है कि हम किसी का गाना
बंद करा देना चाहें।