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जेठ की चनचनाती दुपहरी में / चन्द्र

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जेठ की चनचनाती दुपहरी में
धूप तो लगेगी ही

और जब धूप लगेगी
तब खेत-मजदूर की देह का रूप
मुरझाएगा ही

लेकिन इतना तो तय है, मेरे दोस्त !
जो तपतपाती धूप में खटेंगे
बहाएँगे जो अपनी आत्मा से निचोड़
कठिन श्रम का पसीना
इस धूप में

वो जिएँगे
जिएँगे हो वो
सुन्दरतम जीवन...
प्रकाशमय जीवन ...

और लड़ेंगे वो
हर असम्भव काम के लिए !!