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विस्तृत भारत देश / तारकेश्वरी तरु 'सुधि'

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विस्तृत भारत देश हमारा ऊँची इसकी शान है।
नन्हों-मुन्नों तुम भी जानो, कितना इसका मान है।

वेदों का अस्तित्व यहाँ पर, दुनियाँ को ये भान है।
गीता, रामायण की बातें, सबसे ऊँचा ज्ञान है।
ऋषियो के जप-तप-पूजा का, यह पवन स्थान है
सारे जग में घूमो देखो, अपना देश महान है।

देव जहाँ मानव बन रहते ऐसा हिंदुस्तान है।
नन्हों-मुन्नों तुम भी जानो...

नदियाँ इसकी गंगा-यमुना, दक्षिण सिंधु विशाल है।
उत्तर पर्वत राज हिमालय, भारत माँ का भाल है।
इसके पश्चिम गिरी-वन शोभित, पूरब में बंगाल है।
हरा-भरा मैदान हिन्द का, धन से मालामाल है।

ऐसी माटी पर जन्मी हूँ, मुझको ये अभिमान है।
नन्हों-मुन्नों तुम भी जानो...

भारत देश पुरातन सबसे, जन-जन में ईमान है।
इंसां बात निभाने में भी हो जाता कुर्बान है।
लक्ष्मण जैसा भाई पाकर, राम यहाँ धनवान है-
कृष्ण सुदामा के यारानें का होता गुणगान है।
प्रीति निभाने वाली राधा-सीता पर अभिमान है।
नन्हों-मुन्नों तुम भी जानो...

ऐसी माटी पर जन्मी हूँ, मुझको ये अभिमान है।
नन्हों-मुन्नों तुम भी जानो... ...