Last modified on 29 मई 2019, at 21:45

तलवारो पर धार करो / शिशुपाल सिंह यादव ‘मुकुंद’

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:45, 29 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिशुपाल सिंह यादव ‘मुकुंद’ |अनुव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

शांति नहीं कोलाहल है,घर -घर जन-जन वाणी में
त्यागो झूठी परंपरा को, आग लगा दो पानी में
गौतम -गांधी की सन्तानो, शस्त्रों पर अधिकार करो
समय पुकारता है युवको,तलवारों पर धार करो

शौर्य तुझे लख रूप तुम्हारा,अरि की छाती दहल उठे
ललकारो- हुँकारो वीरो ! शत्रु सैन्य दल विचल उठे
रग-रग में अपने अटूट दृढ, साहस का संचार करो
समय पुकारता है युवको,तलवारों पर धार करो

भारत के प्रहरी अब चेतो,मर्यादा की शान रखो
तुम प्रताप, तुम वीर शिवाजी,निज पानी का ज्ञान रखो
मातृभूमि रक्षा खातिर, मर -मिटना स्वीकार करो
समय पुकारता है युवको,तलवारों पर धार करो

समझा था दुर्जेय हिमालय, अब उस पर विश्वास नहीं
बीमार लगे, है सिंधु न सक्षम, उनसे भी कुछ आस नहीं
पाक-चीन दुश्मन सा जानो,अरि सा ही व्यवहार करो
समय पुकारता है युवको,तलवारों पर धार करो

युग बदला,जीवन को बदलो,किन्तु तनिक ये ध्यान रहे
अपनी प्रखर तेज प्रतिभा में ,भारत -भाल सम्मान रहे
कोटि-कोटि अभिमन्यु हिन्द के,रण में ललक प्रहार करो
समय पुकारता है युवको,तलवारों पर धार करो