उनका सचमुच कोई जवाब नहीं
जिनके चेहरे पे कुछ नक़ाब नहीं।
मैं वो ही हूँ ये शामे-ग़म भी वो ही
बस वो साक़ी नहीं शराब नहीं।
उनको देखा भी उनको छू भी लिया
आज गुस्से में आफताब नहीं।
आपके साथ मैं भी बैठ गया
कैसे कह दूँ ये इंक़लाब नहीं।
हमने ऐसे भी शख्स देखे हैं
नींद आती है जिनको ख़्वाब नहीं।
कैसे रोऊँ ग़मो मुआफ़ करो
मेरी आंखों में अब तो आब नहीं।
यूँ तो बदनाम हूँ मैं ख़ूब मगर
माँ क़सम दिल मिरा खराब नहीं।