Last modified on 3 जून 2019, at 11:28

मत कहो हमको बेज़बां साहब / कुमार नयन

Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:28, 3 जून 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार नयन |अनुवादक= |संग्रह=दयारे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मत कहो हमको बेज़बां साहब
दे चुके हैं बहुत अजां साहब।

भूख किस पर नहीं पड़ी भारी
मेरा ईमाँ कहां गिरां साहब।

कैसे बिगड़ा मैं कैसे आप बने
इसपे खुलवाओ मत ज़बां साहब।

चंद सिक्कों पे तौल दी मेहनत
कौन किस पर है मेहरबाँ साहब।

कुछ नतीजा नहीं बताते हो
कब तलक लोगे इम्तिहाँ साहब।

क़त्ल कब किसने क्यों किया मेरा
कुछ तो मेरा भी लो बयां साहब।

काश हम आपको बुलाते घर
क्या करें हम हैं बेमकां साहब।