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मत कहो हमको बेज़बां साहब / कुमार नयन
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मत कहो हमको बेज़बां साहब
दे चुके हैं बहुत अजां साहब।
भूख किस पर नहीं पड़ी भारी
मेरा ईमाँ कहां गिरां साहब।
कैसे बिगड़ा मैं कैसे आप बने
इसपे खुलवाओ मत ज़बां साहब।
चंद सिक्कों पे तौल दी मेहनत
कौन किस पर है मेहरबाँ साहब।
कुछ नतीजा नहीं बताते हो
कब तलक लोगे इम्तिहाँ साहब।
क़त्ल कब किसने क्यों किया मेरा
कुछ तो मेरा भी लो बयां साहब।
काश हम आपको बुलाते घर
क्या करें हम हैं बेमकां साहब।