Last modified on 5 जून 2019, at 20:23

मईयत / चन्द्र

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:23, 5 जून 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्र |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

यदि वे जीतेंगे इस बार भी
यदि वे जीतेंगे इस साल भी
तो सिर्फ़
मेरी ही मईयत नहीं उठेगी
तो सिर्फ़
मेरी धरती माई की ही मईयत नहीं उठेगी

यदि वे जीतेंगे इस बार भी
यदि वे जीतेंगे इस साल भी
तो सिर्फ़
मेरे लोगों की ही मईयत नहीं उठेगी
तो सिर्फ़
मेहनतकशों की ही मईयत नहीं उठेगी
तो सिर्फ़
एक जन एक जिला एक राज्य
एक देश एक पेड़ की ही मईयत नहीं उठेगी

यदि वे जीतेंगे इस बार भी
यदि वे जीतेंगे इस साल भी

तो उसी हत्यारिन सत्ता सरकार के बाद हश्र की तरह
जश्न के साथ साथ
इस पूरे लोकतन्त्र की मईयत उठ जाएगी

पूरे भारतवर्ष की
मैयत उठ जाएगी रे !!!!!