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बड़का के गोठ / ध्रुव कुमार वर्मा
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बड़का के गोठ हा हाथी कस दाँत हे
काम के न धाम के, बड़े-बड़े बात हे।
एती बर कानून अऊ ओकर बर ओती,
बइला के कमई ल गोल्लर ह खात हे।
साधू सन्यासी के भेष ल बनाए
रावण ह सीता के कुंदरा मं जात हे।
राहू ह चंदा ल लील दिए हाबय
नाव भर के एहा पुन्नी के रात हे।
लइका मन डबरा मं मेचका कुदावय
रांधत हे गुरुजी इसकुल मं भात हे।
कोन जनी कोन डहर सीता लुकागे
खोजत ओला गांव मं बेंदरा मन आत हे।
बाई ल जबले मिले हे सरपंची
घर वाला ओकर तपत अघात हे।