दोबाही बीबी नय करिहा / सिलसिला / रणजीत दुधु

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:56, 27 जून 2019 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जतना सजा पाना हो पा ला एक सजा के छोड़ के
दोबाही बीबी नय करिहा कहऽ हियो कर जोड़ के।

होते बियाह नउकर बनलूँ नाम पड़ल बउराहा
खाय पड़े हे जोआल भिंडी अउ बयगन कनाहा
चाट रहलूँ हन जुट्ठा चटनी उहो सड़ल परोड़ के
दोबाही बीबी नय करिहा कहऽ हियो कर जोड़ के।

नित उठ के हम बरतन माँजू अउ लगाबूँ झारू,
साड़ी फिच्चूँ पोछा लगाबूँ आउ खेलाबूँ बुतरू,
हँउकऽ ही हम मुँह पर पंखा अउ मँयजऽ ही गोड़ के
दोबाही बीबी नय करिहा कहऽ हियो कर जोड़ के।

उनकर हुकुम हे सिर के ऊपर तइयो हके तबाही
उनकर डरके मारे घर में कोय न´ दे हे गोबाही
कतना बार हमर माय बाप के मारलकी मुँह नछोड़ के,
दोबाही बीबी नय करिहा कहऽ हियो कर जोड़ के।

हरदम हमर घर लगल रहऽ हो अब खूब कूहा
कतनो अगोरऽ हियो राज रात में घुस जा हो चूहा
जवान साथ भाग गेल मेहरी हमरा से मुँह मोड़ के
दोबाही बीबी नय करिहा कहऽ हियो कर जोड़ के।

अगला जनम में ईसवर से माँगम वर रहुँ कुमारा,
पिकवयनी मिरिगनयनी से नय दीहा भेंट दोबारा,
इक्के गलती से रख देलूँ सभे दुखवा बटोर के
दोबाही बीबी नय करिहा कहऽ हियो कर जोड़ के।

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.