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काहे आवऽ हो मलाल / सिलसिला / रणजीत दुधु

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हजारो फोटो छाँट सासु
सेंकली हमर गाल
काहे आवऽ हो मलाल
काहे आवऽ हो मलाल

कहली मिल्की भाइट चाही
साढ़े पाँच हाइट चाही
ऊपर से मनी टाइट चाही
हिरणी जइसन चाल
काहे आवऽ हो मलाल

देखली हल जा मइये धीये
कहली दुलहिन युग-युग जीये
जे मन हो गरम ठंढ़ा पीये
बुक होल होटल पाल
काहे आवऽ हो मलाल

मुँहकर सब दिन खिलइलक माय
कपड़ा साफ हमर करऽ हल दाय
तरहथी पर रखलक बाप भाय
कहियो न´ फुलल हल गाल
काहे आवऽ हो मलाल

लेवे घरी भुलली अउकात
जगह कहाँ रखे के सउगात
अमीर गरीब दुनु हे दु जात
अब ठोक न´ सकऽ ह ताल
काहे आवऽ हो मलाल

घोघा दे न´ लगलुँ दुआरी
ससुरार में न´ पेन्हलुँ साड़ी
पढ़ल लिखल आधुनिक नारी
बियुटीपारलर के बाल
काहे आवऽ हो मलाल

बेटा बेच के बनइली दास
सेवा के न´ रखिहा आस
अब करिहा तों डेवढ़ी वास
दिन गिन गिन काटऽ साल
काहे आवऽ हो मलाल

दादी के तहुँ मारली ताना
हम ही भारी सोलह आना
याद आ जइथुन नानी नाना
फँसली अपने बुनल जाल
काहे आवऽ हो मलाल

धन के बल जब रिस्ता बनइबा
दिल के भीतर जगह न´ पइबा
जिनगी भर ऐसी पछतावा
गलतो न´ कहियो दाल
काहे आवऽ हो मलाल