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यह दुनिया / चेस्लाव मिलोश / मनोज पटेल

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ऐसा लगता है
कि वह सब एक
ग़लतफ़हमी ही थी
गम्भीरता से ले लिया गया था
एक परीक्षण-जाँच को ।

नदियाँ लौट जाएँगी
अपने उद्गम की तरफ़ ।
हवा ठहर जाएगी
एकदम शान्त होकर ।
बढ़ने की बजाय
पेड़ रुख़ करेंगे
अपनी जड़ों की ओर ।
बूढ़े लोग पीछे भागेंगे एक गेन्द के,
आइने पर एक निग़ाह —
और फिर से बच्चे हो जाएँगे वे ।

मुर्दे ज़िन्दा हो जाएँगे,
समझ नहीं पाएँगे वे तमाम बातों को
जब तक अघटित नहीं हो जातीं सारी घटित बातें ।

कितनी राहत की बात है ।
चैन की सांस लो तुम
जिसने उठाई है इतनी तकलीफ़ ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल