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वंदना (माँ शारदा की) / कुलवंत सिंह

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वर दे … वर दे … वर दे।
शतदल अंक शोभित, वर दे।

मधुर मनोहर वीणा लहरी,
राग स्रोत की छटा है छहरी,
कण-कण आभा अरुण सुनहरी,
तान हृदय में परिमित गहरी।
उर में मेरे करुण भाव भर दे।
वर दे ... वर दे … वर दे…
शतदल अंक शोभित, वर दे।

तरु दल पर किसलय डोले,
पीहूं पीहूं पपीहा बोले,
मलय तरंगित ले हिंडोले,
आशीष शारदा मन पट खोले।
काव्य किलोल कर मधुरिम कर दे।
वर दे ... वर दे … वर दे…
शतदल अंक शोभित वर दे।

द्विज विस्मित कलरव विस्मृत,
सुरभि मंजरी, दिगंत विस्तृत,
नाचे मयूर, झूमे प्रकृति,
अंब वागेश्वरी संगीत निनादित।
गीतों में मेरे रस छंद ताल भर दे।
वर दे ... वर दे … वर दे ...
शतदल अंक शोभित वर दे।