भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नारी / कुलवंत सिंह
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:54, 3 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुलवंत सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मानव पर ऋण -
नारी का.
नारी !
जिसने माँ बन -
जन्म दिया मानव को.
ईश्वर पर ऋण -
नारी का.
ईश्वर !
जिसने जन्म लिया हर बार
एक मां की कोख से.
प्रकृति पर ऋण -
नारी का.
प्रकृति !
जिसने सौंपा यह महान उद्देश्य
नारी के हाथ.