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वह दूसरा / ओक्ताविओ पाज़ / उज्ज्वल भट्टाचार्य
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उसने एक चेहरा खोजा ।
उसके पीछे
वह जीता रहा, मरा और फिर से जी उठा
बार-बार ।
आज उसका चेहरा
उस चेहरे की झुर्रियों को ढोता है ।
और
उसकी अपनी झुर्रियों का
कोई चेहरा नहीं है ।