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सरस्वती स्तुति / अनामिका सिंह 'अना'

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नमामि हे शिवानुजा, नमामि हे महाश्रया।
 नमामि माँ सरस्वती, अजान हूँ करो दया॥
 करो प्रशस्त पंथ माँ, असत्य का सुबोध हो।
 कुरीतियाँ विलुप्त हों, नवीन प्रीति शोध हो॥

मिटा कुपंथ द्वेष माँ, प्रसार हो सुप्रेम का।
 बढ़ें सदा सुभाव ले, सदैव सृष्टि क्षेम का॥
 विकार ग्रंथियाँ बढ़ीं, सभी समूल दाह दे।
 सुकामना समष्टि की, सुचेतना प्रवाह दे॥

समस्त दृश्य सृष्टि के, सदैव हों सुरम्य माँ।
 अगम्य पंथ लक्ष्य के, करो सभी सुगम्य माँ॥
 नकार चित्त वृत्तियाँ, रचूँ सुछंद ओज के.
 लिखे व्यथा सुलेखनी, अकिंच घाव सोज के॥