Last modified on 14 जुलाई 2019, at 16:53

श्यामल घटा (मधुमालती छंद) / अनामिका सिंह 'अना'

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:53, 14 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनामिका सिंह 'अना' |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

घिरने लगी, मनभावनी,
श्यामल घटा, शुभ सावनी।
छम-छम गिरें, बूँदें धरा,
तृण-तृण मुदित, झूमे हरा॥

तरु वृंद पिक, का गान है,
भू का हरित, परिधान है।
शाखें मुदित, हैं झूमती,
अलकें गगन, घन चूमती॥

बैरन हवा, गसने लगी,
तन के वसन, कसने लगी।
चुभने लगीं, पुरवाइयाँ,
होने लगीं, रुसवाइयाँ॥

मृदु सुधि हृदय, तेरी बसी,
हैं क्लांत दिन, हिय बेकसी.
कटती नहीं, घन यामिनी,
गिरती हृदय, नित दामिनी॥

परदेश में, मेरे पिया,
संदेश ले, जा डाकिया।
तत्क्षण मिलें, मनमीत आ,
रच दें प्रणय, के गीत आ॥