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अपने जज़्बात छुपा कर रक्खें / कैलाश मनहर

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अपने जज़्बात छुपाकर रक्खें ।
जीभ दाँतों में दबाकर रक्खें ।

हर तरफ़ आग लपलपाती है,
आप दामन को बचाकर रक्खें ।

जाने कब साथ छोड़ दें खुशियाँ,
ग़म को सीने से लगाकर रक्खें ।

जम्हूरियत की मत करें बातें,
हक़-ए-इनसाफ़ भुलाकर रक्खें ।

सवाल करने की हिम्मत न करें,
सर-ओ-नज़र को झुकाकर रक्खें ।