नइकी दुलहिनियाँ / गौतम-तिरिया / मुचकुन्द शर्मा
डोली से उतर रहल नइकी दुलहिनियाँ
उतरल सुबह में जैसें सुरुज के किरिनियाँ
हँटल ओहार जखने फटल अन्हार तखने
धूप छितराल ओकर उबटन सन देह लखने
मुलुर-मुलुर ताके हे अपना के झांपेहे
एने ओनेहोल तो अंचरा के चाँपेहे
घूँघट उठैलक तो उदयाचल बरोलगल
मुँह खोललक तो मोती भी झरो लगल
गाल हे लाल छितराल हे बड़बाल
चमक रहल बिन्दी चल रहल बड़ी मन्द दाल
पाँव में महावर पायल बाजे हे झुनुर मुनुर
घुँघरू सन बोलेहे गहना सब टुनुर टुनुर
गालपर तिलहे रूप झिलमिल हे
देख पड़ोसिन के छाती पड़ल सिलहे
बड़ टुसियाल लालपत्तासन लाल ठोर
आँख नीमपत्तासन अँगुठी हे पोर-पोर
जुटल ओकरा देखले कत्ते ने कनियाँ
डोली से उतर रहल नइकी दुलहिनियाँ
झलमल साड़ी हे मारुती गाड़ीहे
कोय पढ़े भाँड़ी बड़ी दुलहा अनाड़ी हे
सूरज के किरण कार बदरापर लगल जैसन
करका केस पर सिंदूर झरल है वैसन
आय माय आल सभे बुतरू बनराल हें
कनियाँ के देख-देख कत्ते चौंधियाल हें
सुन्नर हे किन्नरहे बिजली सन देह हे
नइकी कनइया से सबके बड़ नेह हे
रूप के गगरी हे, जानल नय डगरी हे
एकरा उतरला से बढ़ गेल पगड़ी हे
उतरल हें जजा ओजा छितरल हें मनियाँ
डोली से उतर रहल नइकी दुलहिनियाँ
अंग-अंग जोत बरल देह बड़ी भरल-पुरल
मँह-मँह राह बड़ी चाह सबके मन जुड़ल
यौवन के देहरी पर धैलक हें सधल पाँव
कागा भी उचरोहल करोहल काँव-काँव
देखलों हल ऐंसन नय पहिने हम धनियाँ
डोली से उतर रहल नइकी दुलहिनियाँ।