Last modified on 19 जुलाई 2019, at 22:42

भारत-वंदना / गौतम-तिरिया / मुचकुन्द शर्मा

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:42, 19 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुचकुन्द शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

भारत कके कण-कण के माटी भी है पावन चन्दन,
है आसेतु हिमाचल भारत माता के शुभ वंदन।
हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर फैलल बर्फ के चादर,
पूरे भारत में शोभे हे आषाढ़ी जे बादर।
कन्या क्वांरी के सागर माता के चरण पखारे,
आदिकाल से उछल रहल सागर-तरंग नय हारे।
विंध्यकंठ के हार बनल हे सघन कजै हे जंगल,
गंगा-जमुना-कृष्णा-कावेरी से भी है मंगल।
शस्यश्यामला से शोभऽ हे धरती के अणु कण-कण,
है आसेतु हिमाचल भारत माता के शुभ वंदन।
खान-रतन से भरल-पुरल है हम्मर धरती माता,
देख-देख के ई धरती के गर्वित स्वयं विधाता।
भिन्न वर्ण, भाषा, बोली के भिन्न जाति के लोग,
सबके होल समन्वय आके भारत में संयोग।
एक डाल पर नाना दिग्देशात विहंग बसेरा,
सब मिलकर कऽ गीत गा रहल छँटते भोर अंधेरा।
नदी, समन्दर गीत गा रहल, सबसे सुन्दर देश,
प्रकृति-परी शृंगार गजब है, सुंदर सुमन अशेष।
उत्तर में बदरी केदार दक्षिण में हे रामेश्वर,
पच्छिम में द्वारका पूर्व में असम प्रदेश धरोहर।
सबरी माला कहैं, कहैं तिरूपति, है श्रीरंगम्,
सब दिन से हे मेल यहाँ स्थावर जंगम।
हिन्दू-मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई मंे अपूर्व गठ बंधन,
है आसेतु हिमाचल, भारत माता के शुभ वंदन।