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गाँव होलियाल हे / गौतम-तिरिया / मुचकुन्द शर्मा

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गाँव-गाँव होली में आय होलियाल हे
होली गावेले सब मरद गोलियाल हे
ढोलक पर थाप दे जोर से अलाप दे
होली के टोली ई गाँव-गाँव नाप दे

भेद-भाव भूलके गलामिलल झूलके
चढ़ा रहल फूलके मिटा देलक भूल के
रंगके उमंग में सब लोगन बौड़ाल हे
छोटका जुअनका सब बुढ़वा सुरियाल हे।

पागल कैने ई मौसम भी बेदर्दी हे
बीत गेल कहिए ने ढंढी औ सर्दी हे
काम के कमान पर चढ़ोलगल बर्दी हे
उड़ल बयार संग अबीर गर्दा-गर्दी हे

पहुँचल पहुना अंगना गोड़ धुरियाल हे
गाँव-गाँव होली में आय होलियाल हे।

घर-घर में पुआ से लोहिया छनछनाल हे
परल जेकरा कादो ऊ लोग बमताल हे
गाली गुफ्ता सुनके लोग गनगनाल हे
जहाँ-तहाँ देखलों सबलोग मनमनाल हे

फूल सब खिलल महुआरी कोंचियाल हे
गाँव-गाँव होली में आय होलियाल हे

पोर रहल कादो सब छौंड़ा सब छोटका
केकर है जादू ई केकर है टोटका
गावे होलैया सब रगन रगन लटका
मौसम पलट के मारलकै हें पटका

गाल भरल पूरल देह झुरियल हे
गाँव-गाँव होली में आय होलियाल हे।