भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भगवान की क़िस्मत / येहूदा आमिखाई / उज्ज्वल भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:30, 21 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=येहूदा आमिखाई |अनुवादक=उज्ज्वल भ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
भगवान की क़िस्मत
अब वही है
जो पेड़ों, पत्थरों, सूरज और चान्द की है,
जिन्हें पूजना हमने तब छोड़ दिया
जब हमें भगवान में विश्वास हो गया ।
लेकिन उसे हमारे साथ ही रहना पड़ेगा
जिस तरह पेड़ों को, जिस तरह पत्थरों को
सूरज चान्द और सितारों को ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य