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जीवन का कौन ठिकाना / संजय पंकज
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तुमसे चलकर तुम तक आना
जीने का यह एक बहाना,
सोते जगते तुमको भजना
साँस साँस तुमको गाना है
जीवन का कौन ठिकाना है!
हीरे का सौदागर पीतल
बेच रहा तो क्या मजबूरी
व्यर्थ भटकते जंगल-जंगल
ढूँढ मरा हिरणा कस्तूरी
बसी नयन में ज्योति तुम्हारी
अपना अनमोल खजाना है!
जीवन का कौन ठिकाना है!
किसने देखी गहरी घाटी
किसने गिरि पर ध्वजा उड़ाई
किसने अम्बर के सीने पर
चढ़कर चंद्र-किरण लहराई
मुझमें सारे संदर्भ भरे
दृश्यों का बड़ा तराना है!
जीवन का कौन ठिकाना है!
मन के भीतर सजा बगीचा
रंग बिरंगे फूल खिलाए
कोयल बुलबुल मधुकर तितली
अपनी धुन पर नाचे गाए
रंग राग का तना चंदोबा
छंद-गंध का नजराना है!
जीवन का कौन ठिकाना है!