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सावन का मौसम / सोनरूपा विशाल

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सावन का मौसम भी कैसा जादू करता है।
सिमटा सिमटा मन फूलों सा खिलने लगता है।

बिना धूल में लिपटे सारे मंज़र धुले धुले
चाय पकौड़ों संग बतियाते सब जन घुले मिले

देख देख मन भीतर भीतर ख़ूब थिरकता है।
सिमटा सिमटा मन फूलों सा खिलने लगता है।

दूर पिया हो तो गोरी को विरह आग पकड़े
साथ पिया हो तो सावन संग फाग आन जकड़े

कभी चिकित्सक कभी रोग बन रूप बदलता है।
सिमटा सिमटा मन फूलों सा खिलने लगता है।