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पैदल चलता हुआ आदमी / स्वप्निल श्रीवास्तव

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चमकदार सड़क पर चल रहे कारों
के हुजूम में कितना निरीह दिख रहा है
पैदल चलता हुआ आदमी ।

कार में बैठे हुए बड़े लोग उसे
हिक़ारत से देखते है,
जैसे वह किसी दूसरी दुनिया से
आया हुआ आदमी हो ।

वे नही जानते कि उसके दम पर
उनके चेहरे पर रौनक़ है ।

वह अनाज उगाना बन्द कर दे
तो वे भूखों मर जाएँगे,
उनके मकान न बनाए तो उन्हें
सिर छिपाने की जगह नही मिलेगी ।

उन्हें पता नही कि पैदल चलता हुआ आदमी
कितना ताक़तवर है,
वह जिस दिन होश में आ आएगा
उनके साम्राज्य ढह जाएँगे ।