भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

निज़ाम / कुँअर रवीन्द्र

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:25, 22 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुँअर रवीन्द्र |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

निज़ाम लुटेरा नहीं होता
वह सिर्फ़
लुटेरों का संरक्षक होता है
वह डरपोक भी नहीं होता
फ़ौज तो सिर्फ़
जनता की सुरक्षा के लिए नहीं
अपना भय छुपाने के लिए रखता है
 
वह झूठ जनता के लिए नहीं बोलता
वह अफवाहें
जनता को डराने के लिए नहीं फैलाता
वह सिर्फ
अपनी मूर्खता छुपाने के लिए यह सब करता है
 
और जनता मूर्ख नहीं होती
अवसर देती है
फिर अवसर आने पर
अवसर का उपयोग करती है