Last modified on 22 जुलाई 2019, at 22:35

आँखों में नमी / कुँअर रवीन्द्र

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:35, 22 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुँअर रवीन्द्र |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इस भीषण गर्मी में
जब सूरज उगल रहा हो
दहकते अंगारे
तब तुम्हारे बच्चे स्विमिंग पूल में
शरीर ठंडा कर रहे होते हैं
और तब हमारे बच्चे
सूखी नदियों. तालाबों में
रेत के नीचे
कीचड की सूखी पपड़ियों के नीचे
ढूंढ रहे होते हैं बूँद भर पानी
सिर्फ जीभ की
नमी बचाए रखने के लिए
और शायद इसीलिये
उनकी आँखों में नमी अब भी बची हुई है