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उसके जाने का गम / ईशान पथिक

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उसके जाने का गम
जो मेरा ही नही
एक प्यार है मेरा
जो जुदा ही सही

द्वार दीपक जला कर मैं बैठा रहा
तेरे जाने के गम को मैं सहता रहा
तेरे आने की आस दिल मे जो थी
याद आएगी तुझको ये कहता रहा

मेरे दिल मे अथक
एक प्रतीक्षा रही
उसके जाने का गम
जो मेरा ही नही

दर्द मन का लिए मैं तो चलता रहा
मिलने की चाह में मैं जलता रहा
नींद आती रही याद जाती नही
साथ रहने को आँखे मैं मलता रहा

उसने छोड़ा जहाँ
मैं खड़ा हूँ वहीं
उसके जाने का गम
जो मेरा ही नही

तुझको कभी जो मैं याद आऊंगा
राह चलते कभी गर मैं टकराऊंंगा
मुझे रुककर गले से लगा लेना तू
तेरे बालों को फिर से सहलाऊंगा

हूं खोया उन्ही में
थी जो बातें कहीं
उसके जाने का गम
जो मेरा ही नही