भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सरस्वती वंदना (घनाक्षरी) / अनिल कुमार मिश्र
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:55, 24 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिल मिश्र |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
श्वेत वस्त्र धारिणी हे शुभ्र हंस वाहिनी माँ,
वीणापाणि आ के आप उर में विराजिये।
सा रे ग म प ध नि सा, सा नि ध प म ग रे सा,
सप्त स्वर सप्त चक्र पे ही आ के साधिये।
षट् दोष दूर कर शुद्ध कीजिए ह्रदय,
सत्य शिव सुन्दर का मूल साज साजिए।
अनहद नाद के आरोह-अवरोह में ही,
मन रहे मुग्ध मातु इस भाँति बाँधिए।