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मरकर जी उठना / सुभाष राय

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मैं मरना चाहता हूँ
ताकि लोगों को बता सकूँ मरना होता क्या है
एक पल में मर जाने और पल-पल मरने का फ़र्क क्या है
स्वाद, गन्ध, स्पर्श, दृश्य में से क्या मरता है सबसे पहले
मरने के बाद जीने की कितनी आकाँक्षा बच जाती है

प्रेम का क्या होता है मरने के बाद
वह भी मर जाता है या आदमी के मरते ही
अपने उत्कट और अदेह रूप में प्रकट हो उठता है

बीमारियाँ मर जाती हैं आदमी के मरते ही
या बची रहती हैं देह के आस-पास
राग -द्वेष शेष रहते हैं या नहीं
कैसे मरना सबसे अच्छा है
दूसरों को जीने का अवसर देते हुए
या लालसाओं के पीछे भागते हुए

मैं मरना चाहता हूँ ताकि जान सकूँ
किन मायनों में मरना जीने से बेहतर है
मैं मरकर जी उठना चाहता हूँ