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बहुत दिनों के बाद / माहेश्वर तिवारी
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बहुत दिनों के बाद
आज फिर
कोयल बोली है ।
बहुत दिनों के बाद
हुआ फिर मन
कुछ गाने का
घण्टों बैठे किसी से
हंसने का, बतियाने का
बहुत दिनों के बाद
स्वरों ने
पंखुरी खोली है ।
शहर हुआ तब्दील
अचानक
कल के गाँवों में
नर्म दूब की
छुअन जगी
फिर नंगे पाँवों में
मन में कोई
रचा गया
जैसे रँगोली है ।