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मेरी प्रिया / अजित कुमार
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वे जो दूर टिमकते हैं दो दीप से
आँखों का झँपना है मेरी प्रिया का ।
वह जो दमक रही है पल-पल दामिनी
प्रेयसि की स्मिति उसे मानता है ह्र्दय ।
मेघों का मृदु-मन्थर गति से तैरना
गजगामिनी प्रिया का मादक गमन है ।
मुझ को प्रतिक्षण घेरे है आकाश जो
यह तो, यही, यही तो मेरी प्रिया है ।