भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रेतानुभूति / ऋषभ देव शर्मा
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:55, 29 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=प्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अभी उस रात मैं मर गया
घूमते घामते फिर अपने नगर गया
मेरा सबसे प्रिए मित्र सुख की नींद सोया था,
मुझे अच्छा लगा
मुझे शांति मिली
धूप चढ़े मेरी खिड़की में चावल चुगने आता कबूतर
बहुत बेचैन दिखा
चोंच घायल कर ली थी तस्वीर से टकरा कर,
मुझे बहुत खराब लगा
मुझे कभी शांति नहीं मिलेगी