भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
निशानी / ऋषभ देव शर्मा
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:02, 30 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=प्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
देखो !
इतिहास में जुड़ गया
एक वर्ष और|
सब कुछ बदल गया
पर
मेरे माथे पर
बचपन की चोट के
तीनों निशान
वहीं के वहीं हैं !
मेरे देवता,
सृष्टि के प्रारंभ में
जब तुमने
मुझ पर
पद प्रहार किया था
तब
क्या तुम्हें मालूम था
की ये निशान
न मिटेंगे
प्रलय के मेटे भी !