भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बेरहम / महाराज कृष्ण सन्तोषी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:27, 2 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महाराज कृष्ण सन्तोषी |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पहाड़ ने मान रक्खा
मेरे हौंसले का

घाटी ही
बेरहम निकली

पेड़ से गिरा दिया
मेरा घोंसला