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फूलों घलो गोठियाथैं / प्यारे लाल गुप्त

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गाँव मं फूल घलो गोठियाथैं।
जव सव किसान सो जाथे

झाई झुई लाल गुलाली
देख चांद मुसकाथैं
खोखमा खिल खिल हांसे लगथैं।
कंवल फुल सकुचाथैं।
गांव मां .........

अंग अंग मां सोनहा गहना
लादे गोंदा आथे।
संग चनैनी गोंदा लेके
घर घर अलग जगाथे
गांव मां ......

दूनों वाहिनी सदा सुहागिन
गली गली इतराथैं।
पचरंगा वास चार महीना
मां, हा भाग पराथैं ।
गांव मां .....

फल तरोई जगमग जगमग
देखरा मां लहराथैं।
अइसे लगथे गंज अक सुकुवा
उतर सरग ले छाथे।
गांव मां......

सरसों रानी पिंवरा पहिरे
झमक के वाहिर आथैं।
नील वरन के कलगी खोंचे
अरसी नैन चलाथे।
गांव में फूल घलो गोठियाथैं।