Last modified on 3 अगस्त 2019, at 03:06

एकता कपूर का ककहरा / दिनकर कुमार

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:06, 3 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनकर कुमार |अनुवादक=कौन कहता है...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एकता कपूर को क से प्रेम है
क कमाल का अक्षर है
जो विज्ञापन का सोना बरसाता है
दर्शकों की तादाद बेहिसाब बढ़ता है
 
एकता कपूर का ककहरा
समूचा मध्यवर्ग रट रहा है
इस ककहरे में कोई
सम्वेदना नहीं है
कोई समस्या नहीं है
कोई वेदना नहीं है
इस ककहरे में जीवन एक
अंतहीन उत्सव है

इस उत्सव में छल-कपट की
सीढ़ियों पर चढ़कर कामयाबी हड़पने वाले
निर्मम किरदार शामिल हैं
इस उत्सव में डिजाइनर पोशाकों में
शौकिया सिंथेटिक आँसू बहाने वाली गदराई स्त्रियाँ शामिल हैं

एकता कपूर का ककहरा पढ़कर
मध्य वर्ग अपने लिए जीने की शैली
विकसित कर रहा है
इस नई शैली में परिवार का मतलब
एक कुरुक्षेत्र का मैदान है

इस नई शैली में जीवन का मतलब
केवल और केवल वैध-अवैध तरीके से
पैसों को अर्जित करना रह गया है

एकता कपूर के ककहरे में
इतनी सम्पन्नता है जो
हमें आतँकित करती है

हमारे इर्द-गिर्द की पीली उदास बीमार
अभाव की मार झेलती दुनिया
एकता कपूर के ककहरे में शामिल नहीं है