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जीवित रहने का प्रस्ताव / दिनकर कुमार

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नहीं समझा पाऊँगा विषाद की वजह क्या है
सुविधाओं के बिल में दुबके रहो
बँकर में छिपे रहो युद्ध में जुटे राष्ट्र की तरह
सुनते रहो देववाणी
गमलों के फूलों की ख़ुशबू से बौराते रहो
 
फूल मुरझा रहे हैं, जल खाद और रोशनी के अभाव में
बच्चे मर रहे हैं, अनाज दवा देखभाल के अभाव में
विकलांगता फैलती जा रही है, शरीर में, दिमाग में
धमनियों में समाता जा रहा है विषैला धुआँ
सुरक्षित रहो किले के भीतर
जारी करते रहो बयान आलीशान शयनकक्ष में लेटकर

कैसे समझ सकते हो
खुले आसमान के नीचे बारूद और बरसात
महँगाई और राजनीति की मार झेलने वाली आबादी
किस विषाद नामक बीमारी को झेल रही है

दबोचकर रखो हमारे हिस्से की धूप
भरे रहें तुम्हारे भण्डार नियन्त्रित रहे मौसम
चलती-फिरती लाशों को मत समझाओ
प्रेम की परिभाषा
डार्विन का सिद्धान्त

हमें लड़ने दो अपने छोटे-बड़े मोर्चों पर
हमें मरने दो खड़े-खड़े
हमारी लाशों की सीढ़ी पर चढ़कर
आएगा एक पवित्र भविष्य