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छतीसगढ़ के बा सी / टिकेन्द्र टिकरिहा

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अइसे हाबय छतीसगढ़ के गुद गुद बासी
जइसे नवा बहुरिया के मुच मुच हांसी

मया पोहाये येकर पोर पोर म
अउ अंतस भरे जइसे जोरन के झांपी

कपसा जड़से दग-दग उज्जर चोला
मया-पिरित के बने ये दासी

छल-फरेब थोकरो जानय नहीं
हमर छतीसगढ़ के ये वासी

कोंवर गजबेज जइसे घिवहा सोंहारी
भोभला तक के बने ये संगवारी

रोटी सही ठठरंग बोली जानय नहीं
ररुहा रंका तक के ये महतारी

सब कलेवा बनगें सोन्ना
येला बना दीन रासी

कभू पारटी म चलिस नहीं
हमर छतीसगढ़ के ये वासी

येकर वर गहेरिच बवन गे गंगा
पानी म बूड़े बपुरा रहिगे ग नंगा

येकर पाछू कतको तरगे भइया
ऐरे गैरे परदेसी अउ लफंगा

उथलही के मरम जानिस नहीं
गहेरीच के रहिगे ये वासी

पानी के मया में बूड़े रहिगे
हमर छतीसगढ़ के ये वासी