भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मबोना लॉज / विस्टन ह्यु ऑडेन / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:09, 4 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विस्टन ह्यु ऑडेन |अनुवादक=नरेन्द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
सारी रात हवाएँ
झिंझोड़ती रहती हैं घर की नींव
उठो, छोटी-सी बत्ती जलाओ
और कमरे के जड़ अन्धेरे में रख दो उसे
दीवारों के ठिठुरते हिस्सों की तरफ़
हवा अब भी बहिष्कृत प्रेमी की मानिन्द
सिर धुनती है
देखो, उस छोटी सी लौ को
जो एक कुशल नट की तरह
अपने सन्तुलन में है
धीरे से, पता नहीं कहाँ से
पृष्ठ पर आ गिरते हैं
कुछ शब्द
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : नरेन्द्र जैन