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नेह मंत्र बाँचें / योगक्षेम / बृजनाथ श्रीवास्तव
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यही समय है
मिलकर हम सब नेह मंत्र बाँचें
कई तरह से
तोड़ा हमको
शातिर लोगों ने
इसीलिए तो
घेरा दिन-दिन
रोगों, भोगों ने
किया वही जो
सबने, उनको पग-पग पर राँचें
प्यार मंत्र जो
नदी हवा के
जपने छोड़ दिये
रहे उमर भर
जिन जीवों सँग
रिश्ते तोड़ दिये
इच्छाओं के
मृगछौने भरते मिले कुलाँचे
बनी दूरियाँ
तोड़ें ,फिर से
अपनापन बोयें
विश्वासों की
फसल उगायें
फैले विष धोयें
सुख-दुख वाले
साथी बनकर भर दें सब खाँचें