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मंदिर मंतर कर दे / योगक्षेम / बृजनाथ श्रीवास्तव
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आओ मिलकर
नये बीज हम
खेत-खेत में धर दें
मँगवाये हैं
नये बीज कुछ
पश्चिम वाले घर से
निकल रहीं हैं अजब हवाएँ
उनके भी अंदर से
आओ मिलकर
उन बीजों को
दूर किनारे कर दें
नये बीज वे
अपनेपन के
जो मीठे भाव भरें
अपने घर के नये पुराने
जो सारे दर्द हरें
आओ मिलकर
इन बीजों को
अमरितमय हम कर दें
इन बीजों को
गंगा जी का
मीठा पानी देंगे
जब लहरायें पौधे बनकर
सारा दुख हर लेंगे
आओ मिलकर
इन्हें प्यार से
मंदिर मंतर कर दें