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अच्छे दिन / योगक्षेम / बृजनाथ श्रीवास्तव

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अच्छे दिन
फिर आयेंगे
सबको दुलरायेंगे

पहले खेतों की
करनी है
अच्छी तरह जुताई
अच्छे बीजों की
फिर करनी
अच्छी तरह बुवाई

और समय पर
करो निराई
अँखुए लहरायेंगे

भोजन ,पानी
इन्हें समय पर
देते रहना भाई
पवन सलोनी
इन्हें जगाकर
भर देगी अँगड़ाई

शीश उठाये
ऊपर को ये
आँगन महकायेंगे

ताल,कुएँ जल
भरे मिलेंगे
नदिया उफनायेगी
गीत-गीत में
सदा सुहागिन
धुन मंगल गायेंगी

वनपाँखी भी
सात सुरों में
फिर बीन बजायेंगे