भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्थाई निवास / निकिफ़ोरॉस व्रेताकॉस / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:25, 7 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= निकिफ़ोरॉस व्रेताकॉस |अनुवादक=अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यहाँ घूमती हैं
मेरे पूर्वजों की परछाइयाँ ।

कभी-कभी मुझे लगता है :
मेरे पिता इस लावारिस पुरानी जागीर की
खिड़की खोलकर
उस खिड़की पर लटके हुए थे,
और अपनी उँगली से इशारा कर रहे थे
एक मायावी इन्द्रधनुष के भूत की तरफ़।

मैं पूछता हूँ —
क्या वहाँ दूर कोई दुनिया है युद्ध-रहित ?
कोई जादुई ग्रह है वहाँ ?

लेकिन पिता
किसी सोच में डूब जाते हैं

और मेरे सवालों का
कोई उत्तर दिए बिना ही
खिड़की बन्द कर देते हैं
धीरे से
नि:शब्द ।

रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय