अपने मैं को
मारो नहीं
उसके बढ़ते कदम
तुम उखाड़ो नहीं
उसे
इतना विस्तृत व्यापक
हो जाने दो
कि वो
तुम्हारा तुम हो जाए
उसका मेरापन
शून्य की सर्वव्यापकता में
जाकर गुम हो जाए
अपने मैं को
मारो नहीं
उसके बढ़ते कदम
तुम उखाड़ो नहीं
उसे
इतना विस्तृत व्यापक
हो जाने दो
कि वो
तुम्हारा तुम हो जाए
उसका मेरापन
शून्य की सर्वव्यापकता में
जाकर गुम हो जाए