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उसको जिन आँखों से दुनिया दिखती है / गौरव त्रिवेदी

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उसको जिन आँखों से दुनिया दिखती है,
मैने उन आँखों में दुनिया देखी है,

जिसको मेरा हाथ पकड़ना चाहिए था,
वो मेरी इक ग़लती पकड़े बैठी है

आँख से निकली तब मुझको मालूम हुआ,
ख़्वाब की अर्थी पानी जैसी होती है

सन नब्बे में वो दुनिया में आई थी,
सन नब्बे से शाम ये बहकी बहकी है

वो कहती थी मर जाएगी मेरे बिन,
कोई बतलाना तो अब वो कैसी है