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सहर के बिमारी / संजीव चंदेल

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गांव के टूरी चिपरी।
आन गांव के मोटीयारी॥
जाइसे तोला सहर के रे
लागे हावय परेम बिमारी ॥
गांव के टूरी...

आंख म लगाए चसमा।
जिऊमा नइ हे मोरे बस मा॥
टुकुर टुकुर देखय पारा भर
गारी देवय तोरे महतारी॥
गांव के टूरी...

ओंठ म चढ़ाए लाली।
कान म फंसाए बाली॥
चुंदी म खापे फुलवा।
हांसय देख तोरे महतारी॥
गांव के टूरी...

दगा दइथे सहर वाला मन।
छोड़ी दइथे रद्दा म ओ मन॥
एती के न ओती के तय रइवे।
आबै तय हर अपन खोर दुयारी॥
गांक के टूरी...