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चाय के महिमा / अनूप रंजन पांडेय
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घर भर के जब सूत के उठय, मुंह ले निकलय चाय
डोकरी डोकरी लईका पिचका, सब ला गजब मिठाय ॥
सब ला गज़ब मीठाय, घर माँ जब पहुना आवय।
चूल्हा म झट चाय के डेचकी चढ़ जावय।
कह पांडे कविराय, नंदागे दूध दही सब
बनगे हावय अमरित, चाहा कलजुग केअब