भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नमक में आटा / कमल जीत चौधरी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:06, 13 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमल जीत चौधरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमने
कम समय में
बहुत बातें की
बहुत बातों में
कम समय लिया
      
कम समय में
लम्बी यात्राएँ की
लम्बी यात्राओं में
कम समय लिया

कम समय में
बहुत समय लिया
बहुत समय में
कम समय लिया

इस तरह हम
कम में ज़्यादा
ज़्यादा में कम होते गए
हमें होना था
आटे में नमक
मगर हम नमक में आटा होते गए !