Last modified on 17 अगस्त 2019, at 02:35

नयन हँसे / कविता भट्ट

वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:35, 17 अगस्त 2019 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नयन हँसे
थे बीतराग कल
यों बँधे आलिंगन,
पिय नैनों ने
दिया जीवन -दान
करूँ अमृतपान।
2
अहो! कर्त्तव्य !
विराग में खड़ा है-
मूक ,जड़,बधिर,
मद में चूर
अधिकार- मुस्काए
सिंहासन विराजे।